हर जगह एक ही चर्चा है आजकल
सुना है कोई देवदूत आने वाला है।

सुना है
उसके स्वर्गलोक में सब खुशहाल हैं
वहाँ राजा प्रजा का
बहुत सौहार्दपूर्ण सम्बन्ध है,
वो बेदाग सफेद वस्त्रों में
धरती पर कदम रखेगा
और पूरी दुनिया को बेदाग बनाएगा।

अक्सर गली नुक्कड़ में
अख़बार को दस भागों मे बाँटकर
उतने ही लोग उसको देखते हुए
भविष्यवाणियाँ पढ़ते हैं
कि उसके आने से
समाज की गहराई में व्याप्त हर बुराई
ख़त्म हो जाएगी
असुरक्षा का एहसास जो इनको-उनको है
उसके आने से सब बदल जाएगा
जो समरसता का अभाव कहीं है तो
उसके आने से भाईचारा बढ़ जायेगा,
वो अपने सुख दुख
स्वर्ग की विलासितापूर्ण जिंदगी सब छोड़कर
लोगों के सुख दुख बाँटने आएगा
लोगों के आँसू पोंछने आएगा।

उसके आने की उम्मीद मात्र से ही
लोगों की उम्मीदें कितनी बढ़ गयी हैं
लोगों ने साँझ को घरों में
दीपक भी जलाने शुरू कर दिए हैं
रास्तों को फूलों से सज़ाकर
उसे लुभाने की
खूब कोशिशें भी की जा रही हैं
लोग टकटकी लगाए
बस आकाश की तरफ देखते हैं,
अपनी समस्यों की सूची के साथ
वो उसके शीघ्र-अतिशीघ्र आने के लिए
प्रार्थनायें भी करते हैं
कि वो आएगा
और उनका बेड़ा पार लगाएगा।

ऐसा भी नहीं है कि सिर्फ़ एक देवदूत की चर्चा हो
अलग अलग इलाक़ों मे
अलग अलग देवदूतों की चर्चा है
समीकरणों के हिसाब से
विशेषज्ञ अलग अलग देवदूतों के आने की संभावना
एक दूसरे से बढ़कर बता रहे हैं
जबकि लोग समीकरणों से परेशान होकर
सीधे हल पाना चाहते हैं।

वो जो देवदूतों के समर्थक हैं
अपने देवदूत की तो गाथा गाते हैं
और दूसरे देवदूतों को
असुरों के सदृश बताते हैं,
ऐसे ही किसी मंगलवार के दिन
मंदिर की सीढ़ियों पर बैठा हुआ
एक व्यक्ति पूछ ही बैठता है,
भईया, बताओ तो सही
सुना है कोई देवदूत आने वाला है,
सच में एक सामान्य मन में
आशा की पैठ कितने भीतर तक है,
मैं सोचता हूँ उसे किस देवदूत के बारे में बताऊँ।

हर जगह, हर समय
चर्चा बिना किसी निष्कर्ष के
बराबर चलती रहती है,
चर्चा का विषय वही है,
सुना है कोई देवदूत आने वाला है।


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