गन्ने के खेतों के पीछे
पहाड़ी की चोटी पर
लाल रंग का एक गोला
धीरे-धीरे गिर रहा है,
बादलों के किनारे पर
दिखती हैं चमकीली धारियाँ
जहाँ से निकलता है एक अलग तरह का आलस
जो सबमें व्याप्त हुआ जाता है,
पक्षी अँधेरा होने के पहले
अपने पिंजड़े में लौटना चाह रहे हैं,
और जलने लगे हैं दिये यहाँ वहाँ
जो सूरज का थोड़ा हिस्सा रखकर
सुबह तक लड़ते रहेंगे,
और नित्य घटना थी ये
उस दिन भी सूरज अस्त हुआ।

कई सौ साल पहले
इन्हीं पहाड़ियों के पीछे
इसी नदी के किनारे
गाजे-बाजे के साथ
एक बहुत बड़े साम्राज्य का सूरज
अस्त हुआ था,
अंतिमता लिये हुए।


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