धरती के किसी कोने में
कृत्रिम सुंदरताओं से बहुत दूर
बादलों से रहित साफ़ आसमान की सजावट में
तारों की एक दूधिया उजली पट्टी है
जिसके आकर्षण में
आकाश में और कुछ देखना नहीं होगा,
जो क्षितिज के
एक कोने से दूसरे कोने तक सरपट चली जाती है
जिसमें दिखते हैं रंग संसार के,
तारों की आकृतियाँ
और उन आकृतियों के नाम निकालने की चुनौती,
इन्हीं तारों के काफिले से भटका
एक तारा हमारा सूरज भी है
जो आकाशगंगा के किसी और कोने से
इन्हीं अनगिनत तारों की पट्टी के
किसी कोने में मौज़ूद
अपनी पहचान के लिये तरसता होगा,
इस उजली पट्टी के चार कोनों पर
चार तारों को गाड़कर
हमारा ग्रह उसमें तस्वीर देखने की कोशिश में लगा है,
और अंतरिक्ष के ललाट की शोभा बढाती
एक आकाशगंगा है
सुंदरता की कोई भी परिकल्पना
जिसके बिना अधूरी होगी।


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