भयानक सन्नाटा पसरा हुआ था
ऐसा सन्नाटा
जिसमें ध्वनि को
किसी कोने में बैठा हुआ देखा जा सकता था,
देखते ही देखते सन्नाटे में खो गये
वर्तमान के हर एक पहलू
फिर क्षितिज के उस पार से अंधकार उठा
उसके पीछे क्षत-विक्षत लोगों की सिसकियाँ
काले पक्षियों का एक गुट चल दिया
उस ओर जहाँ हो रहा था
विधाता की नाकामियों का खुला प्रदर्शन,
उस अंधकार के पीछे से एक आँधी उठी
जिसमें समाहित हो गया था इतिहास
इतिहास, जो ध्वस्त करता गया रास्ते के तथ्य
इतिहास, जो शांत करता गया हर एक आवाज़ को
इतिहास, जो वक़्त से कहीं आगे निकल गया था,
उस आँधी के पीछे सन्नाटे की एक और परत थी,
और आँधी से निकली सहसा
ढोल-नगाड़ों की ध्वनियाँ
जो धीरे-धीरे तेज होती गईं,

दरबान ने दरवाज़ा खोला,
कहा, महाराज
युद्ध में सेनाओं ने
पराजित कर दिया है शत्रु को
जीत का जश्न शुरू किया जाए!


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