मुझे बताया है उसने मयकशीं बतौर इलाज़-ए-इश्क़ 
मैंने अपना हाल-ए-दिल सब साक़ी को बता रखा है।

रिन्द के रिन्द रहे जो शब-ए-हिज़्र से अब तक सुनें 
बेरहम इस ज़माने में हक़ीक़त के सिवा क्या रखा है। 

लहरों की ललकार को क़ुबूला तो मिली थी नयी दुनिया
साहिल से तूफाँ का नज़ारा करने में बता क्या रखा है।

पड़ जाये पीना ज़हर तो सुकरात मीरा की मानिंद पी लेना
कहना पड़े तो कह देना ये क्या कि दिल में छुपा रखा है। 

जुनून कब हारा है कहाँ किसी ख़तरे से बता तू यायावर
आप ही आप मन में तूने खुद को नातवाँ बना रखा है।


रिन्द - drunk
शब-ए-हिज़्र - night of separation
साहिल - shore
मानिंद - as
नातवाँ - weak 


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