yayawar । यायावर
शाश्वत सत्य की खोज में ...
Pages
(Move to ...)
Home
Poems
Fiction
Reading List
Travelogues
Essays
Archives
About yayawar.in
▼
Oct 28, 2017
तीर्थयात्रा
›
एक रेगिस्तान है मेरी आँखों के आगे फैला हुआ जहाँ रेत ही रेत दिखती है हर तरफ और दूरियाँ तय होती नज़र नहीं आ रही हैं परिवर्तन की अनुपस्थिति...
Oct 24, 2017
दीवारें
›
दीवारें तोड़नी हैं इससे पहले कि वह दीवार खड़ी हो जाये मुझे उठना है और दीवार से टकराकर लहूलुहान हो जाना है। मेरे सामने भागती है एक भीड़ स...
Oct 20, 2017
अजर, अमर
›
1. मैं उस शरीर में बँधी हूँ जिसके कदमों को चूमती है चाँदनी रेत और बालों को छूकर निकलती है घाटी की हवा, जिसके एक तरफ बहती है नदी और दूस...
Oct 16, 2017
आदी
›
समन्दर से खींचकर किनारे पर लगा दी गयी नाव को जैसे जीवन से उठाकर मृत्यु के दर्शन दे दिये गये हैं, लकड़ी के पटरे जिन्हें लहरों की गति नापन...
Oct 12, 2017
बूँद - 5 / संगीत
›
मुझे बूँदों का संगीत सुनना था एक बेहद बेसुरा संगीत जिसमें फड़फड़ाती हैं भुजायें बूँदों की धरती की सतह पर चोट कर आवाज़ निकालने से पहले और ...
‹
›
Home
View web version