yayawar । यायावर
शाश्वत सत्य की खोज में ...
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Jul 28, 2017
स्पीति - 5 / प्रलय
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भोर और साँझ की दीवारों के बीच क़ैद एक दिन को देखकर हतप्रभ रह गया हूँ, आठ प्रहरों से मिलने के लिये दिन रोज़ पहाड़ लांघ कर आ जाता है वही-वही...
Jul 24, 2017
अदीब - 3 / प्रणयोन्माद का रंग
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प्रणयोन्माद का रंग जानते हो अदीब? आसमान से गिरा हुआ एक रंग जो लहरों पर फैलता है फिर छा जाता है आँखों से जिसे ग्रहण करते हैं हम खो जाता ...
Jul 20, 2017
कभी-कभी
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कभी-कभी बोलियाँ लगती हैं उसकी बोली की सरे-बाजार, और भी दूर हो जाता है अपनी बुलन्दियों से वो कभी-कभी। कभी-कभी राह रुक जाती है चलते-चलते, ...
Jul 16, 2017
जीवन का उद्देश्य
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किसी चीड़ और देवदार के जंगल में मनुष्यों के विकल्पों से बहुत दूर जब अकेले बैठकर सोचते होगे कि मैं अगर इस मनुष्य के पास जाऊँ तो क्या हासि...
Jul 15, 2017
अस्थायी - 2
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और ये कहा जायेगा फिर कि चाँद और सूरज जो कि उतने ही स्थायी हैं जितना कि समय की परिकल्पना, तो उन पर भी लोग इतना स्नेह क्यों रखते हैं? पर...
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