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May 18, 2017

समानांतर संसार

मैं कोई पत्र लिख रहा हूँ
जिसमें बयाँ न हो सकने वाली बातें हैं
और अपवाद स्वरूप मैं शामिल कर लेता हूँ
तारों के टूटने के कुछ चित्र
जिससे तुमको यकीन हो
कि मैं भी इसी ब्रह्माण्ड का सदस्य हूँ,
चला देता हूँ
समय के चक्र को
नाच उठती हैं घटनायें
बहुत सम्भव है
समय की चक्रीय अवधारणा में विश्वास रखते हुये
कभी खुद को पत्र लिखते हुये देख सकूँ।

तुम मेरा पत्र पढ़ रही हो
जो बातें पढ़ी नहीं जा सकती हैं
तुमने पत्र को समय की दिशा में रखकर
उनके सारे मानी भांप लिये हैं
और किसी सुपरनोवा की रोशनी की तरह
तुम्हारी आँखें चमक उठती हैं
भाव से भर उठती हैं,
यह याद करती हो
कि ब्रह्माण्ड में इतना रिक्त स्थान है
कि दो तारों के टकराने की संभावना नगण्य है।

समानांतर संसारों में
हमारी दुनियाएं ऐसे ही चलती रहती हैं
कभी कोई प्रतिभावान भौतिक विज्ञानी
अपनी थीसिस में
ऐसे संसारों के बीच कोई खोई हुई कड़ी ढूँढ़कर जोड़ देगा
और हमारी दुनियाएं मिल उठेगीं।